Sad Poetry || Sad Poetry In Urdu || Poetry In Urdu ||
Collection of best sad poetry, Urdu sad poetry.70+ poetry
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یاروں کی خطاؤں پہ نظر ہم نے نا رکھی اور یار کوئی بھول ہماری نہیں بھولے हमने अपने दोस्तों की गलतियों पर ध्यान नहीं दिया और यार, हमें कोई नहीं भूला है |
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میں اور التجائے کرم آپ سے کروں یہ بھیک ان کو دیجیے جس کا خدا نہ ہو मैं आपसे और अधिक करने की विनती करता हूं उन लोगों को भिक्षा दो जिनके पास कोई भगवान नहीं है |
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بےساختہ آج ان کے بھی آنسو نکل آئے دیکھا نہ گیا حال فقیراں نہ کسی کا आज उनकी आंखों में आंसू आ गए न ग़रीब दिखे और न कोई और |
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امید کی کرن کے سوا کچھ بھی نہیں اب اس گھر میں روشنی کا یہی انتظام ہے अब उम्मीद की किरण के सिवा कुछ नहीं यह है इस घर में रोशनी की व्यवस्था |
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سننے والے پر منحصر ہے عدم خامشی میں صدا بھی ہوتی ہے श्रोता पर निर्भर करता है खामोशी में भी एक आवाज़ होती है |
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اسے پا کر بھی تم نہ خوش رہو گے جسے پا کر مجھے تم کھو رہے ہوْ आप इसे पाकर खुश नहीं होंगे उसे पाकर तुम मुझे खो रहे हो |
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یہ آج کون سے طوفاں میں ہے سفینہ دل کے دور دور کنارے نظر نہیں آتے सफीना दल आज किस तूफान में है? दूर किनारे दिखाई नहीं देते |
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اکیلے پن کی اذیت سے اب گلہ کیسا فراز خود ہی تو اوروں سے ہوگئے تھے الگ |
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زندگی اک حسین خواب ہے مانا لیکن ہر حسیں خواب کی تعبیر نہیں ملتی ज़िन्दगी एक ख़ूबसूरत सपना है बेशक हर समझदार सपने की व्याख्या नहीं की जा सकती |
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دوستوں سے ہم کو وابستہ تھی امیدیں بہت اعتبار اپنا بھی اٹھ جائے گا یہ سوچا نہ تھا |
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جتنے بھی لفظ ہیں وہ مہکتے گلاب ہیں لہجے کے فرق سے انہیں تلوار مت بنا सारे शब्द सुगन्धित गुलाब हैं उच्चारण में अंतर के कारण उन्हें तलवार मत बनाओ |
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تم بھی بدل ہی جاؤ زمانے کے ساتھ ساتھ میرا نا ساتھ دو کہ برا مانتے ہیں لوگ समय के साथ तुम भी बदल जाओगे मेरा समर्थन करें क्योंकि लोग सोचते हैं कि यह बुरा है |
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میں نے دامن میں سمیٹے ہیں انہیں چھو کے نہ دیکھ ریزہ ریزہ ہے میرے خواب بکھر جائیں گے मैंने उन्हें अपनी स्कर्ट में लपेट लिया है, उन्हें मत छुओ मेरे सपने चकनाचूर हो जाएंगे |
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ہم بڑے ناز سے آئے تھے تری محفل میں کیا خبر تھی لبِ اظہار پہ تالے ہوں گے हम बड़े गर्व के साथ पार्टी में आए क्या आप जानते हैं कि होठों पर होंगे ताले? |
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کچھ آندھیاں بھی اپنے معاون سفر میں تھی تھک کر پڑاؤ ڈالا تو خیمے اکھڑ گئے |
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کس قدر احساس ہے فطرت کو میرے درد کا جاگتے ہی رہتے ہیں تارے رات بھر میرے لیے प्रकृति कितना जानती है मेरे दर्द से तारे रात भर जागते हैं मेरे लिए |
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تیری یادوں کے دیے جب بھی جلاتا ہوں خیال حسن کچھ اور شب غم نکھر جاتا ہے जब भी तेरी यादों के बारे में सोचता हूँ किसी और की ख़ूबसूरती और ग़म की रात चली गई |
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چاندنی رات کا مزاج نہ پوچھ ہم غریبوں کے گھر نہیں آتی चांदनी रात का मिजाज मत पूछो हम गरीबों के घर नहीं आते |
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چمن کو ہم نے خود اپنے لہو سے سینچا تھا ہمیں بہار پہ دعویٰ ہے اپنے حق کی طرح हमने अपने खून से लॉन को सींचा बिहार पर हमारा अधिकार होने का दावा है |
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محبت کی معراج مرگ محبت مگر تم نے قدر محبت نہ جانی प्रेम, मृत्यु, प्रेम का आरोहण पर तुम प्यार की कीमत नहीं जानते थे |
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اب یہ دنیا ہی لگے ہے شب کا سناٹا مجھے سارا عالم نیند میں ہے جاگتا کوئی نہیں अब ये दुनिया मुझे एक बुरे सपने सी लगती है सारी दुनिया सो रही है और कोई नहीं जागा |
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ہم تغافل سے تیرے ہونٹ نہ کھلیں گے کبھی دل کا افسانہ سنا دیں گی ہماری آنکھیں हम आपके होंठ कभी भी लापरवाही से नहीं खोलेंगे दिल की दास्तान बयां कर देगी हमारी आंखें |
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سنگ رہا ہے ہر اک زخم آج تو دل کا بہار جا چکی نقشی بہار باقی ہے दिल का हर जख्म आज जल रहा है बिहार का जो नक्शा गया है वो रह गया है |
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زندگی پھیلی ہوئی تھی شام ہجراں کی طرح کس کو اتنا حوصلہ تھا کون جی کر دیکھتا शाम के प्रवास की तरह बिखरी थी जिंदगी कौन इतना उत्साहित था? |
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یہیں کہیں تھے وہ اب بھی یہیں کہیں ہوں گے نگاہ شوق انہیں ڈھونڈ لیں خدا کے لیے वे कहीं थे, अब भी यहीं रहेंगे भगवान के लिए उनकी तलाश करें |
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جو روشنی میں کھڑے ہیں وہ جانتے ہی نہیں ہوا چلے تو چراغوں کی زندگی کیا ہے रौशनी में खड़े रहने वालों को पता नहीं हवा चलने पर दीयों का जीवन क्या होता है? |
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ہوتا ہے تیرے درد کا ہر روپ انوکھا آتی ہے تیری یاد بڑے بھیس بدل کر आपके दर्द का हर पहलू निराला है तेरी याद बड़े भेष में आती है |
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تیری قربت کو بہت یاد کیا ہے میں نے جب بھی گزری ہوئی یادوں نے ستایا مجھ کو मैं तुम्हें बहुत याद कर रहा हूँ जब भी यादें मुझे सताती हैं |
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کسی بے وفا کی خاطر یہ جنوں فراز کب تک جو تمہیں بھلا چکا ہے اسے تم بھی بھول جاؤ |
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وعدہ کر کے اور بھی آفت میں ڈالا آپ نے زندگی مشکل تھی اب مرنا بھی مشکل ہو گیا वादा करके तूने और भी विपदा डाल दी मुश्किल थी जिंदगी, अब मरना भी मुश्किल |
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اداسیاں میرے چہرے پر بے سبب تو نہیں میری خوشی کا زمانہ گزر گیا ہوگا |
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دباؤ کیا ہے سنے وہ جو آپ کی باتیں رئیس زادہ ہے داغ آپ کا غلام نہیں |
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ابھی تو دل سے نکل کر زبان تک آئی ہے کسے ہے خبر کے کہاں تک یہ داستان آئی ہے अभी तो दिल से जुबान पर आया है कौन जाने ये कहानी कितनी दूर आ गई है |
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منزل تو خوش نصیبوں میں تقسیم ہوچکی کچھ خوش خیال لوگ ابھی تک سفر میں ہیں गंतव्य को भाग्यशाली में विभाजित किया गया है कुछ नेक लोग अभी भी सफ़र कर रहे हैं |
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وفا کا ذخم ہے گہرا تو کوئی بات نہیں لگاؤ بھی تو ہمیں اس سے انتہا کا تھا |
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ہم محبت میں بھی توحید کے قائل ہیں فراز ایک ہی شخص کو محبوب بنائے رکھا हम प्यार में भी एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं, फ़राज़ी एक ही व्यक्ति से प्यार किया |
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اے ظبط عشق اور نہ لے امتحان اب ہم رو رہے ہیں نام کسی کا لئے بغیر हे प्यार की जब्ती और अभी परीक्षा मत लेना हम किसी के नाम के लिए रो रहे हैं |
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ہو بہو اس کی ہی آواز لگی ہے دیکھو وادی سنگ میں امجد کی یہ صدا کس کی ہے |
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جنہیں بے دام تو نے بیچ ڈالا وہ چہرے اپنی قیمت مانگتے ہیں जो तुमने बिना कुछ लिए बेच दिया वो चेहरे मांगते हैं अपनी कीमत |
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اسے گنوا کے میں زندہ ہوں اس طرح محسن کہ جیسے تیز ہوا میں چراغ جلتا ہے |
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دامن جھٹک کر منزلِ غم سے گزرگیا اٹھ کے دیکھتی رہی گرد سفر مجھے पांव हिलाकर दु:ख की मंज़िल से गुज़रे वह उठी और मुझे यात्रा करते देखा |
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آپس کی گفتگو میں بھی کٹنے لگی زبان اب دوستوں سے ترک ملاقات چاہیےّ बातचीत में भाषा भी कटने लगी अब हमें तुर्की के दोस्तों से मिलना है |
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ایک اجالے کی طلب میں اک سحر کے شوق میں کتنی ہی تاریک راتوں سے گزر جاتا ہوں میں |
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خوشی سے کون کرتا ہے غموں کی پرورش ناصر کسے ہے شوق لوگو درد کے سانچے میں ڈھالنے کا जो दुखों को खुशी से पालता है नासिरो लोगों को दर्द में ढालना कौन परवाह करता है? |
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میں اسے ڈھونڈنے یادوں کی کھلی سڑکوں پر خشک پتوں کی طرح روز بکھر جاتا ہوں यादों की खुली गलियों में पाता हूँ हर दिन मैं सूखे पत्तों की तरह बिखरता हूँ |
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ہنسنے کی آرزو میں دبایا جو درد کو آنسو ہماری آنکھ میں پتھر کے ہو گئے वो दर्द जिसने हंसने की ललक दबा दी हमारी आंखों में आंसू पत्थर हो गए |
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ہزار رنگ میں نکلے گا دن اندھیروں سے ہزار روپ میں آئے گی رات ڈرنا کیا हजार रंगों में अँधेरे से निकलेगा दिन हजारों रूपों में आएगी रात |
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شیشہ بنے تو چور ہوئے پتھروں سے ہمّ پتھر بنے تو راہ میں ٹھوکر لگی ہے ہزار जब शीशा बनता है तो हम चोरी के पत्थरों से बनते हैं यदि वह पत्थर बन जाए, तो मार्ग में हजार ठोकर खाएंगे |
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ایک دریچے سے دو آنکھیں روز صدائیں دیتی ہیں رات گئے گھر لوٹنے والو شاد رہو آباد رہو दो आंखें हर दिन एक खिड़की से आवाज करती हैं देर रात घर लौटने वाले, खुश रहें और जिएं |
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